गिग वर्कर्स

उनकी स्थिति के बारे में: कार्यबल का एक तेजी से बढ़ता हुआ खंड जो अल्पकालिक अनुबंधों या स्वतंत्र काम में लगा हुआ है, अक्सर डिजिटल प्लेटफार्मों (जैसे, भोजन वितरण, राइड-हेलिंग) के माध्यम से। उनके पास पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध और संबंधित लाभों की कमी होती है।

किसने बनाया: गिग वर्क की अवधारणा डिजिटल अर्थव्यवस्था के साथ उभरी है; किसी भी सरकार द्वारा कोई विशिष्ट अधिनियम सीधे तौर पर गिग वर्क नहीं बनाता है।

लाभ: विनियमन सामाजिक सुरक्षा लाभ, निष्पक्ष मजदूरी, स्पष्ट शिकायत निवारण तंत्र और मनमानी समाप्ति से सुरक्षा प्रदान करेगा।

संशोधन (भाजपा के तहत): सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 (भाजपा द्वारा नए श्रम संहिताओं का हिस्सा) "गिग वर्कर" को परिभाषित करने का प्रयास करता है और उन्हें सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत कवर करने के प्रावधान शामिल करता है।

वर्तमान विफलताएं: रोजगार की स्थिति पर स्पष्टता की कमी, न्यूनतम मजदूरी गारंटी का अभाव, कोई सवेतन अवकाश नहीं, कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं (पीएफ, ईएसआई), मनमानी प्लेटफॉर्म नीतियां और सामूहिक सौदेबाजी में कठिनाई।

भाजपा कैसे असफल रही:
- अपर्याप्त सामाजिक सुरक्षा प्रावधान: जबकि सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020, गिग वर्कर्स का उल्लेख करती है, उनकी सामाजिक सुरक्षा लाभों का वास्तविक कार्यान्वयन और वित्तपोषण बड़े पैमाने पर अस्पष्ट और अपर्याप्त रहता है, जो राज्य की अधिसूचनाओं पर अत्यधिक निर्भर है।

- शोषण के मूल मुद्दों को संबोधित करने में विफलता: भाजपा सरकार ने निष्पक्ष मजदूरी सुनिश्चित करने, प्लेटफार्मों द्वारा मनमानी निष्क्रियता को विनियमित करने, या सामूहिक सौदेबाजी के उनके अधिकार को मान्यता देने जैसे मौलिक मुद्दों को संबोधित नहीं किया है।

- प्लेटफॉर्म-केंद्रित दृष्टिकोण: श्रमिकों की मजबूती से रक्षा करने के बजाय प्लेटफार्मों को प्रोत्साहित करने पर अधिक ध्यान दिया गया है। - जमीनी स्तर पर धीमी प्रगति: कानूनी ढाँचे के बावजूद, गिग वर्कर्स के लिए ठोस सामाजिक सुरक्षा लाभ और नियामक निगरानी बड़े पैमाने पर जमीनी स्तर पर अनुपस्थित हैं, जिससे वे कमजोर हो गए हैं।

संभावित समाधान (Congress की दृष्टि से)

1. समग्र राष्ट्रीय नीति और कानूनी संरचना का निर्माण
• कांग्रेस का मानना है कि गिग वर्कर्स के लिए एक समग्र, स्पष्ट और प्रभावी राष्ट्रीय कानून आवश्यक है, जो उनके अधिकारों, वेतन, सामाजिक सुरक्षा और कल्याण की गारंटी दे
• यह कानून गिग वर्कर्स को श्रमिक वर्ग की पूरी सुरक्षा प्रदान करे, जिससे वे स्थायी कर्मचारी के समान अधिकार प्राप्त करें
• इस कानून के तहत, प्रत्येक राज्य को भी गिग वर्कर्स के संरक्षण के लिए उपयुक्त नियम बनाना अनिवार्य किया जाए

2. पंजीकरण और पहचान प्रणाली का अनिवार्य और सुलभ होना
• गिग वर्कर्स का डिजिटल और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से नि:शुल्क पंजीकरण सुनिश्चित किया जाए
• यह पंजीकरण न केवल कामगारों के अधिकारों की रक्षा करेगा, बल्कि उनके कल्याण योजनाओं का लाभ भी सुनिश्चित करेगा
• स्थानीय स्तर पर गिग वर्कर्स के लिए सहायता केंद्र स्थापित किए जाएं, जहां वे अपनी समस्याओं का समाधान पा सकें

3. न्यूनतम वेतन और पारदर्शी भुगतान प्रणाली
• गिग वर्कर्स के लिए क्षेत्र और काम के प्रकार के अनुसार न्यूनतम वेतन निर्धारण किया जाए
• भुगतान के समय में पारदर्शिता और त्वरित निपटान हो, जिससे गिग वर्कर्स को उनका मेहनताना समय पर मिले
• ओवरटाइम, छुट्टियों और अन्य अतिरिक्त कार्यों के लिए उचित मुआवजा लागू किया जाए

4. सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण योजनाओं का विस्तार
• गिग वर्कर्स को स्वास्थ्य बीमा, दुर्घटना बीमा, मातृत्व लाभ, पेंशन, बेरोजगारी भत्ता जैसी योजनाओं से जोड़ा जाए
• इनके लिए विशेष पुनर्वास, कौशल विकास और प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जाएं
• डिजिटल प्लेटफॉर्म कंपनियों को सामाजिक सुरक्षा में योगदान देना अनिवार्य किया जाए

5. शिकायत निवारण और न्यायिक तंत्र को मजबूत करना
• गिग वर्कर्स के लिए सुलभ, प्रभावी और शीघ्र शिकायत निवारण प्रणाली विकसित की जाए
• उत्पीड़न, अनुचित व्यवहार या भुगतान में देरी जैसे मामलों में कड़ी कार्रवाई हो
• गिग वर्कर्स की सुरक्षा के लिए विशेष न्यायालय या ट्रिब्यूनल बनाए जाएं

6. डिजिटल प्लेटफॉर्म कंपनियों के लिए कड़े नियम और पारदर्शिता
• कंपनियों को अपनी नीतियों, काम के नियमों और भुगतान संरचना में पूरी पारदर्शिता रखनी होगी
• गिग वर्कर्स के अधिकारों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों पर कड़ी कार्रवाई हो
• कंपनियों को सामाजिक सुरक्षा, प्रशिक्षण और कल्याण कार्यक्रमों में योगदान देना अनिवार्य किया जाए

7. जागरूकता अभियान और सामाजिक सशक्तिकरण
• गिग वर्कर्स को उनके अधिकारों और उपलब्ध सरकारी योजनाओं की जानकारी देने के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाए जाएं
• गिग वर्कर्स के लिए संगठन और यूनियनों का निर्माण प्रोत्साहित किया जाए, ताकि वे अपने अधिकारों के लिए सामूहिक रूप से लड़ सकें
• महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और अन्य कमजोर वर्गों के गिग वर्कर्स के लिए विशेष कार्यक्रम बनाए जाएं

8. तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण
• गिग वर्कर्स के लिए तकनीकी, डिजिटल और व्यावसायिक कौशल विकास प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाए, जिससे उनकी आमदनी और रोजगार के अवसर बढ़ें
• प्रशिक्षण के बाद उन्हें बेहतर गुणवत्ता वाले कार्य और बेहतर भुगतान वाले गिग उपलब्ध कराने के लिए प्लेटफॉर्म विकसित किए जाएं

9. स्थायी रोजगार के अवसर और संरक्षण
• गिग वर्कर्स को स्थायी रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रोत्साहन और योजनाएं शुरू की जाए
• अस्थायी और गिग वर्क के बीच संतुलन बनाकर, गिग वर्कर्स को स्थायी कामगारों के समान संरक्षण मिले

In Brief About The Act

गिग वर्कर्स (Gig Workers) – विस्तृत विवरण

1. परिचय:
गिग वर्कर्स वे स्वतंत्र श्रमिक होते हैं जो किसी कंपनी या संगठन के स्थायी कर्मचारी नहीं होते, बल्कि अस्थायी, अनुबंध आधारित या परियोजना-आधारित कार्य करते हैं। ये काम अक्सर डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे ऐप या वेबसाइट के माध्यम से मिलते हैं। उदाहरण के तौर पर - ओला/उबर के ड्राइवर, फ्रीलांसर, खाना डिलीवरी करने वाले (जैसे स्विगी, जोमेटो), घरेलू सहायक, ट्यूटर आदि

2. गिग वर्कर्स की विशेषताएँ:
• स्वतंत्र और अस्थायी रोजगार
ये लोग किसी एक नियोक्ता के स्थायी कर्मचारी नहीं होते, बल्कि छोटे-छोटे गिग्स (कार्य) पूरा करते हैं

• डिजिटल प्लेटफॉर्म पर निर्भरता
गिग वर्क मुख्यतः ऐप्स और डिजिटल माध्यमों से काम मिलते हैं

• लचीलापन और अनिश्चितता
काम करने का समय और स्थान अपेक्षाकृत लचीला होता है, लेकिन आमदनी में अनिश्चितता होती है

• सामाजिक सुरक्षा का अभाव
अधिकांश गिग वर्कर्स के पास नौकरी से जुड़ी सुरक्षा जैसे PF, ESI, पेंशन आदि नहीं होती

3. भारत में गिग वर्कर्स की स्थिति:
• भारत में लाखों गिग वर्कर्स हैं, जिनमें राइड-हेलिंग ड्राइवर, फूड डिलीवरी कर्मी, फ्रीलांसर, घरेलू कामगार आदि शामिल हैं
• इन्हें पारंपरिक श्रमिकों के मुकाबले कम सुरक्षा और लाभ प्राप्त होते हैं
• अधिकांश गिग वर्कर्स असंगठित क्षेत्र के श्रमिक माने जाते हैं
• COVID-19 महामारी के बाद गिग वर्क का महत्व और बढ़ गया है, पर सुरक्षा की चुनौतियां भी सामने आई हैं

4. कानूनी और सामाजिक सुरक्षा पहल:
• भारत सरकार ने असंगठित क्षेत्र श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008 के अंतर्गत गिग वर्कर्स को शामिल करने का प्रयास किया है
• मजदूरों के अधिकारों की रक्षा और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए ‘Code on Social Security, 2020’ में गिग वर्कर्स को श्रमिक वर्ग में शामिल किया गया है
• यह कोड गिग वर्कर्स को स्वास्थ्य बीमा, पेंशन, बीमा, मातृत्व लाभ, प्रशिक्षण आदि का अधिकार देता है
• अभी भी गिग वर्कर्स की स्थिति को लेकर विभिन्न राज्यों और केंद्रीय स्तर पर नियम बन रहे हैं

5. प्रमुख चुनौतियां:
• सामाजिक सुरक्षा की कमी: पेंशन, बीमा, स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाती
• असमान वेतन और अनुचित कार्य-शर्तें: काम के घंटे, भुगतान का अनिश्चित होना
• श्रमिक अधिकारों का अभाव: स्थायी नौकरी जैसे अधिकार नहीं मिलते
• शिकायत निवारण तंत्र कमजोर: उत्पीड़न या शोषण की शिकायतों का समाधान मुश्किल
• डिजिटल प्लेटफॉर्म की एकतरफा नीतियां: गिग वर्कर्स पर नियोक्ता की पकड़ अधिक होती है