दिनांक 29 मार्च 2023, को नई दिल्ली स्थित डॉ. अम्बेडकर भवन, रानी झाँसी रोड से एक ऐतिहासिक और साहसिक जनआंदोलन की शुरुआत हुई। असंगठित कामगार एवं कर्मचारी कांग्रेस (केकेसी) के बैनर तले आयोजित यह "मोदी हटाओ – लोकतंत्र बचाओ मार्च" देश की वर्तमान लोकतांत्रिक व्यवस्था पर मंडरा रहे संकट के खिलाफ एक सशक्त प्रतिवाद था।
मार्च का नेतृत्व केकेसी के राष्ट्रीय चेयरमैन माननीय डॉ. उदित राज जी ने किया, जिनकी अगुवाई में देशभर से आए सैकड़ों कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता, श्रमिक प्रतिनिधि और युवा दिल्ली की सड़कों पर उतरे। यह मार्च महज़ एक प्रदर्शन नहीं था, बल्कि देश के संविधान, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जनतंत्र की रक्षा का संकल्प था।
डॉ. उदित राज जी ने अपने संबोधन में तीखा हमला बोलते हुए कहा:
"जब संसद में विपक्ष की आवाज़ को MUTE कर दिया जाए, और सड़क पर जनता की आवाज़ को पुलिस के डंडों से दबाया जाए – तो समझ लेना चाहिए कि लोकतंत्र खतरे में है। यह मार्च सत्ता की उस तानाशाही के खिलाफ है, जो विरोध को अपराध बना रही है और असहमति को कुचलने की मशीन बन चुकी है।"
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र केवल चुनाव जीतने का नाम नहीं, बल्कि सभी नागरिकों की बराबरी, स्वतंत्रता और न्याय की गारंटी है। लेकिन आज जब अडानी प्रकरण जैसे गंभीर मुद्दों पर संसद में बहस नहीं होने दी जा रही, जब बेरोजगारी और महंगाई जैसे जनमुद्दों पर सरकार चुप है, तब विपक्ष की भूमिका को दबाना एक सुनियोजित हमला है।
इस मार्च के दौरान सरकार द्वारा दिल्ली पुलिस को दुरुपयोग कर शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को रोकने, हिरासत में लेने और डराने की कोशिश की गई। लेकिन केकेसी कार्यकर्ता न झुके, न डरे। यह लड़ाई केवल अधिकारों की नहीं, बल्कि संविधान और लोकतंत्र के अस्तित्व की लड़ाई बन चुकी है।
इस आंदोलन में देश के विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने भाग लिया और एक स्वर में यह संदेश दिया कि:
🗣️ "लोकतंत्र की हत्या नहीं सहेंगे!"
✊ "संविधान बचेगा, तभी देश बचेगा!"
🚩 "मोदी हटाओ – जनतंत्र बचाओ!"
कार्यक्रम में यह भी संकल्प लिया गया कि केकेसी आने वाले समय में देशव्यापी जागरूकता और प्रतिरोध अभियान चलाएगा, जिसमें अडानी जैसे पूंजीपतियों को संरक्षण देने वाली सरकार, बेरोजगारी, निजीकरण, मनरेगा में कटौती, और असंगठित कामगारों की उपेक्षा के खिलाफ लगातार संघर्ष किया जाएगा।
यह मार्च इस बात का प्रतीक बन गया कि अब जनता जाग चुकी है। संविधान की रक्षा के लिए संगठित भारत एकजुट है, और केकेसी उस संघर्ष की अग्रिम पंक्ति में है।